Monday 4 February 2013

- फतवों में गुम होता कश्मीर....


‘‘ फतवा-ए-कश्मीर ’’ 

- क्या अब धर्मगुरू चलाएंगे देश.... 

‘‘ हर दिन, हर रोज धर्मगुरू ऐसे बयान देते है कि, हमारा इस्लाम, हमारा हिन्दूधर्म, हमारी संस्कृति को नुकसान हो रहा है। इस बात से आप क्या समझते है कि अब धर्मगुरूओं के ही भरोसे देश चलेगा। ये धर्मगुरू नहीं धर्म के ठेकेदार है। ऐसे नहीं है कि कश्मीर में फतवा पहली बार जारी हो रहा है। इससे पहले भी लडकियों को बुर्का पहने, स्कूल जाने, मोबाइल देने, घर से बाहर जाने के लिए फतवे जारी हुए है और इन्हीं फतवों से ही कश्मीर गुम होता जा रहा है। जिसका न तो देश में कही प्रतिनिधित्व देखने को मिलता है। आखिर कब तक ‘‘ फतवा-ए-कश्मीर ’’ चलता रहेगा।’’


          आज ऐसे ही फतवों से अभिव्यक्ति आजादी पर धर्मगुरूओं का कब्जा हो गया है। इन्ही कि वजह से देश की बेटियों को अपने ही देश में टेलेंट दिखाने का मौका नहीं मिलता है।  ये न तो खुद जीते है और न ही दूसरों को जीने देते है। ऐसा ही फतवा भारत प्रशासित कश्मीर में पहला महिला रॉक बैंड बनाने वाली लड़कियों को धमकी के बाद अब फतवा का सामना करना पड़ रहा है। लडकियों ने आखिरकार अपना बैंड ‘‘ प्रगाश ’’ बंद करना पड़ा। 

- आइए देखते है क्या कहा....
           खबरों के अनुसार श्रीनगर के मुख्य मुफ्ती बशीरूद्दीन ने रॉक बैंड में शामिल लड़कियों के खलिाफ रविवार को बयान देते हुए कहा है कि ‘‘ इस्लाम में संगीत पर पाबंदी है और उन लड़कियों को अच्छी बातें सीखनी चाहिए। मैं गाने को गैर-इस्लामिक करार देते हुं। साथ ही मैं, लडकियों को गाना बंद करने की सलाह दी है।’’  

- बैंड का लाइव परफार्मेंस बंद 
          दिसंबर में यह बैंड लाइव परफॉर्मंस देकर सुर्खियों में आया था। इसने रॉक बैंड की कॉपीटिशन में पुरस्कार भी हासिल किया था। उसके बाद इन्हें फेसबुक और अन्य सोशल साइट्स पर धमकियां मिलने लगी थी। इस वजह से उन्होंने लाइव परफॉर्मंस बंद कर दिया। 

Friday 1 February 2013

कांग्रेस की उम्मीद और उम्मीदवार एक ही ‘‘ सिंधिया ’’



कांग्रेस की उम्मीद और उम्मीदवार एक ही 

‘‘ सिंधिया ’’ 

- सिंधिया और चैहान होंगे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार


- दूर-दूर तक नहीं है दिग्विजय, भूरिया और पचौरी......

- शिवराज को सता रहा, कांग्रेस का भय 


केंद्र में राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री उम्मीदवार की दौड़ में पहले से चल रहा है। लेकिन अब मध्यप्रदेश के 2013 चुनाव में भी, दो दिग्गजों का आमना-सामना होना तय लगात है। भाजपा से शिवराज सिंह चैहान और कांग्रेस से ज्योतिर्दित्य सिंधिया का नाम है। 

         प्रदेश की राजनीति में भाजपा तीसरी बार जीतकर सत्ता में आना चाहती है। जिसमें उसका चेहरा शिवराज ही होंगे। वही कांग्रेस में भी मुख्या पद को लेकर खींच तान शुरू हो चुकी है। इसमें सिंधिया की दावेदारी को मजदूत माना जा रहा है। बाकी गुट की बात करें तो दिग्विजय सिंह का गुट उनके कार्यकाल के बाद ही उभर नहीं पाया है। इस दौड़ में प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया का गुट दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रहा है। ऐसे में उम्मीद और उम्मीदवार एक ही है सिंधिया। साथही सिंधिया के जरिए कांग्रेस सत्ता में वापसी भी कर सकती है।       

- दिग्विजय, भूरिया और पचैरी नहीं होंगे उम्मीदवार 
             यदि कांग्रेस अपना उम्मीदवार सिंधिया को नहीं बनाती है, तो तीसरी बार भाजपा को सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता है। वही कांग्रेस का तीसरी बार सफाया होने से कोई उम्मीदवार नहीं बचा पाएगा। क्योंकि कांग्रेस नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कार्यकाल, खुद उनके कार्यकर्ता और जनता नहीं भुली है। वही अपने कार्यकाल में प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया भी प्रदेश पर कुछ खास पकड़ बनाते नहीं दिखाई दिए। भूरिया से पहले प्रदेश अध्यक्ष रहे सुरेश पचैरी का भी कोई अता-पता नहीं है। ऐसे में एक ही नाम सामने है सिंधिया।  

- शिवराज को सता रहा, कांग्रेस का भय 
            भाजपा के मुख्या शिवराज ने भी गुरूवार को आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कार्यकर्ता से कहा है कि वे कांग्रेस को किसी भी कीमत पर कमजोर आकने की कोशिश न करें और न ही फीलगुड में रहें। उन्होंने कहा कि माहौल हमारे पक्ष में है, लेकिन सतर्क रहना होगा। इस बात से ये तो साफ है कि भाजपा की एक भूल, उन्हें सत्ता से पांच साल के लिए बेदखल कर सकती है। इसी के मद्दे नज़र शिवराज 2013 चुनाव को किसी कीमत पर हाथ से गवाना नहीं चाहते है। इसलिए वे समय-समय पर अपने कार्यकर्ताओं को मूल मंत्र देते रहते है।