Thursday 11 April 2013

मोदी की जीत, मंदिर का निर्माण


" मोदी की जीत, मंदिर का निर्माण "


0 अटल नहीं, आडवाणी नहीं, अब मोदी बनाएंगे ‘‘ मंदिर ’’

00 नमो के सहारे ‘‘ रामजी ’’

000 मुद्दा एक ‘‘ राम मंदिर ’’

0000 गुजरात से चला नमो नमो ...

00000 अयोध्या में मंदिर नहीं, देश को अयोध्या बनाओं


सौगंध राम की खाते है, मंदिर वहीं बनाएंगे..., बच्चा बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का..., अयोध्या करती है आहवन, हाथ से कर मंदिर निर्माण..., जहां राम ने जन्म लिया, मंदिर वहीं बनाएंगे..., अ..अ...अयो...अयोध्या, राम की..., जैसे तमाम घोष (नारे) संघ की शाखाओं में लगाए जाते हैं। 1925 केशव बलिराम हेडगेवार जी के समय से ये परंपरा चली आ रही है। संघ के अधिकारी हो या स्वयंसेवक दोनों बडे़ जोशों-खरोश के साथ राम जी की जय लगाते है। 



       उन्हीं के बीच से नरेन्द्र दामोदरदास मोदी गुजरात के मुख्या आते है। मोदी संघ की नेकर-टोपी बचपन में ही पहन चुके है। दंड कहे या लाठी उन्हें बखुबी चलाना आता है। भलेही वो शाखा में हो या फिर गुजरात में। गुजरात 2002 के दंगों के बाद मोदी के विकास पहिए ने जोर पकड़ा। गुजरात को तीसरी बार जीत मोदी फिर मुख्या बने, तो क्या अब प्रधानमंत्री बनने की बारी है...? लगातार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में मोदी की दावेदारी बढ़ती जा रही है। भाजपा के ही कुछ नेता उनसे चिंतित है क्योंकि एक तरफ उनकी बढ़ती उम्र का रोडा। देश भी युवा प्रधानमंत्री चाहता है। मोदी सभी एंगल से फिट नजर आते है। दूसरा यदि भाजपा 2014 में हारी तो हेट्रिक तय है और वापसी करना मुश्किल।

0000 मुद्दा एक ‘‘ राम मंदिर ’’ 

         राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हो या फिर भाजपा। दोनों का मुद्दा एक ही है ‘‘ राम मंदिर ’’। मोदी ये दोनों ही पडाव पार कर चुके है। अब प्रधानमंत्री बन मंदिर बनाने की तैयारी है। ऐसा नहीं की मंदिर का मुद्दा नया है। इससे पहले भाजपा के कद्दावर नेता अटलबिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी इस काम को करने में असफल हुए है। आडवाणी भलेही प्रधानमंत्री नहीं बन पाए हो। लेकिन उन्होंने मंदिर बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोडी। बात अटलबिहारी वाजपेयी की, तो उनकी गठबंधन की सरकार भी पूरे पांच साल चली थी। लेकिन मंदिर नहीं बना। जिसका खामियाजा 2004 में सत्ता से बेदखल हो कर चुकाना पड़ा था। तो क्या अब मोदी मंदिर बनाएंगे...? या फिर वही लाग-लपेट चलता रहेगा। सत्ता में आने के बाद अटल भूल गए थे। वैसे ही 2014 के बाद मोदी भुल जाएंगे। क्योंकि भाई गठबंधन की सरकार है। 


0000 गुजरात से चला नमो नमो ...

       नरेन्द्र मोदी आज वो शख्स बन चुके है, जिनकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। युवा, महिलाएॅ, उद्योगपति सभी के मुंह पर नमो नमो है। गुजरात से चली नमो नमो की धून हिन्दुस्तान में गुंजने को है। माना भाई विकास गुजरात का हुआ है, लेकिन क्या उतनी तेजी से देश का विकास हो पाएगा...? राम के सहारे चलने वाली भाजपा विकास का डमरू बजा रही है। मोदी नमो नमो के सहारे चल पड़े है, क्या मोदी राम नाम भुल गए है...? या फिर सत्ता में आने के बाद चर्चा की जाएगी। 

0000 ज़रा सोचिए . . .

         राम आपके भी है और हमारे भी। राम भाजपा या किसी ओर जागीर नहीं है। मंदिर हमने भी बनाया है अपने घर में, लेकिन किसी की भावनाओं ठेस पंहुचाए बिना।  चाहे मंदिर बने... या मस्जि़द बने... क्या फर्क पड़ता हैं। राम दिल में है तो मंदिर की क्या जरूरत। ज़रा सोचिए उस पंक्ति को (श्रीराम रामचन्द्र कृपालु भजन मन...) जिसमें राम को बड़ा दयालु, बड़ा कृपालु बताया गया है। आपको पता है देश की दूसरी बड़ी जनसंख्या मुसलमानो की है। तो क्या दयालु-कृपालु भगवान ‘‘ श्री राम ’’ का मंदिर में उनकी भावनाओं को ठेस पंहुचाकर बनाया जा सकता है...? मंदिर बनने से मर्यादा पुरूषोत्तम क्या खुश होंगे....? और यदि ऐसा होता है तो क्यों न अयोध्या में मंदिर जगह पूरे देश को ही अयोध्या बना दिया जाए। मोदी की जीत होगी, राम का मंदिर बनेगा...। ये दो बडे़ सवाल है। मंदिर की आशा जनता को भी है। लेकिन बाबू ये ‘‘ राजनीति ’’ है।  


‘‘ मेरा अनुरोध है लेख पढ़ते वक्त दिल-दिमाग खुला रखे। आपके भले की बात कर मैं अपना स्तर नहीं गिरा सकता हूं। जो आप पढ़ रहे है कई बार मीडिया में इससे जुडी कुछ बात आ चुकी है। लेकिन कुछ मेरा नजरिया अलग है....। आज गुडी पडवा है नववर्ष की शुरूआत है और हेडगेवार जी का जन्म भी। आशा करता हूँ विचार अच्छे दिन आए है 2014 में कुछ अच्छा होगा। आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ’’